What Is PLC In Hindi, पीएलसी क्या है? | PLC Programming In Hindi

Mayur Alone
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PLC यह एक Digital Computer ही है और इस डिवाइस का उपयोग इंडस्ट्री में Automatic Electro Mechanical प्रोसेस को बनाने के लिए करते है। पी.एल.सी का आज के समय में बहुत उपयोग हो रहा है, क्योंकि इससे काम भी बहुत जल्दी हो जाता है और समय भी बचता है।

आज हम PLC के बारे में जानेंगे जैसे की, पीएलसी क्या है, PLC full form, What is plc in hindi, PLC Programming, Types of PLC, PLC history, PLC basics, How to work plc, पीएलसी के फ़ायदे इन सब के बारे में हम हिंदी में जानेंगे।

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PLC Full form - PLC ka Full form

PLC का फुलफॉर्म Programmable Logic Control (प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर) यह होता है।

PLC में पहले से ही ऐसे कुछ कंपोनेंट्स लगे होते है जैसे की: Contactor, Electrical Timer, NC, Counter NO इत्यादि। इतने डिवाइस होने के बाद भी PLC साइज़ बड़ा नही बल्क़ि बहुत छोटा होता है, क्योंकि उसमे उपयोग किये जाने वाले Components के साइज़ छोटे होते है। तो दोस्तों PLC programming basics के बारेमे हम आगे विस्तारित रूप से जानते है।


What Is PLC In Hindi - पीएलसी क्या है?

PLC याने प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर इसे प्रोग्राम कंट्रोलर भी कहते है। यह एक डिजिटल कंप्यूटर है, जिसका उपयोग इंडस्ट्री में Automatic electro-mechanical process जैसे की Control of machinery, Light fixture या Recreational rides को बनाने के लिए किया जाता है।

PLC का उपयोग करने से काम बहुत तेजी से होता है, और टाइम भी बच जाता है। इसलिए पीएलसी का ज्यादातर उपयोग Factory के Machine Program में किया जाता है।

पि एल सी सामान्य कंप्यूटर के विपरीत कई Input और Output systems, Electric noise to immunity, Wide temperature ranges, कंपन और प्रभावों का प्रतिरोध करने के लिए PLC डिज़ाइन किया गया है।

इंडस्ट्री में पहले RLC (Relay Logic Control) का उपयोग किया जाता था, लेकिन जब से Programmable Logic Control (PLC) मार्केट में आया है तब से ज्यादातर फैक्ट्री में PLC का ही उपयोग हो रहा है, जिससे इंडस्ट्रीज में Automation बढ़ गया है।

भारत में Siemens, Delta, Mitsubishi जैसी PLC Company का सबसे ज्यादा उपयोग हो रहा है। कुछ कम्पनीज में पीएलसी ट्रेनिंग दी जाती है और बहुत से PLC programming courses भी है।


Working Principle Of  PLC - पीएलसी कैसे काम करता है?

Programmable Logic Control (PLC) को काम करने के लिए Program की जरूरत होती है और PLC Program Ladder Language में लिखा जाता है। कंप्यूटर में इस प्रोग्राम को लिखकर केबल के जरिये उसे PLC में डाला जाता है। पीएलसी में पहले से ही एक Memory होती है जिसमे सारा प्रोग्राम सेव हो जाता है।

पि एल सी का प्रयोग करने से Circuit बहुत ही आसान बन जाता है और मशीन ख़राब होने की संभावना भी बहुत कम होती है। PLC में बनाये गये सर्किट RLC में बनाये गये सर्किट से काफ़ी भरोसेमंद होते है। और काम भी सही तरीकेसे करते है।

PLC Device में पहले से ही Contactor, Electrical Timer, NC, Counter NO जैसे डिवाइस होते हुए भी PLC का साइज ज्यादा बड़ा नही होता बल्कि PLC में कंपोनेंट्स की साइज बहुत ही छोटी होती है। मशीन ऑपरेशन को नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम स्थिर मेमरी में सेव होते हैं।

प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर में Input और Output यह दो Module होते है, जो CPU से जुड़े होते हैं। PLC का इनपुट मॉडुल सिग्नल Mouse, Temperature sensors, Push buttons, Limit switches से लेता है, या Output किसी Motor या किसी और मशीन को देता है।

CPU input module से आये Signal को Process करके Output module पर आउटपुट देता है। Output Module से जो आउटपुट मिलती है, वह 24V DC में होती है। जो 24V DC आउटपुट मिली है उसे हम 24V DC की Relay लगी होती उस Relay Board में देते है।


PLC History - PLC History Timeline

प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर का आविष्कार पारंपरिक Control panel को चेंज करने के लिए किया गया था। जिनका ऑपरेशन्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लॉजिक रिले पर निर्भर करता है, जो इंडस्ट्रियल कण्ट्रोल सिस्टम्स में टाइमर पर आधारित हैं।

पीएलसी 1960 के दशक के उत्तरार्ध में अमेरिका में मोटर वाहन उद्योग में उत्पन्न हुआ था और रिले लॉजिक सिस्टम को बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया था। पीएलसी विकास 1968 में एक अमेरिकी कार निर्माता से अनुरोध के जवाब में शुरू हुआ। उद्योग में पहली बार 1969 में पीएलसी लगाए गए थे।

PLC शुरू में Automotive Industry द्वारा अपनाये गए थे, जहा सॉफ्टवेयर संशोधन ने Product Model बदलने पर सख्त तारों के Control Panel की रीवाईरिंग को बदल दिया।

PLC से पहले ऑटोमोबाइल निर्माण के लिए नियंत्रण, क्रम और सुरक्षा मिलान लाजिक सेकड़ों या हजारों रिलेज़, केम टाइमर और ड्रम सिकवेसर या समर्पित बंद लूप नियंत्रकों के उपयोग करने से पूरा किया जाता था।

Annual Model बदलने के लिए, इस तरह की सुविधाओं को अपडेट करने की प्रक्रिया में समय भी बहुत लगता था और खर्च भी लगता था, क्योंकि इलेक्ट्रोड को व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक रिले को पुनर्व्यवस्थित करना था।


PLC Programming In Hindi - Application Of PLC In Hindi

Programmable Logic Control Program यह विशिष्ट रूप से एक व्यक्तिगत कंप्यूटर पर एक विशेष PLC Application में लिखा जाता है, और फिर नेटवर्क के जरिये पीएलसी में डाउनलोड किये जाते है। यह प्रोग्राम पीएलसी में या Battery backed up RAM या फिर Flash Memory में सेव होते है।

आज IEC 61131-3 Programmable control system के लिए पाच तरह की Programming Languages को परिभाषित करते है, जो ऑपरेशन के लॉजिक शुद्ध संगठन पर जोर देती हैं।

  1. LD - Ladder diagram
  2. SFC - Sequential function chart
  3. ST - Structured Text
  4. IL - Instruction list
  5. FBD - Function block diagram

IEC 61131-3 मानक के तहत पीएलसी प्रोग्राम Programming languages का प्रयोग करके किये जा सकते है। एक प्रैक्टिकल प्रोग्रामिंग संकेतन जिसे इंडिक फंक्शन चार्ट कहा जाता है, कुछ प्रोग्रैमेबल नियंत्रकों पर उपलब्ध है।

शुरुवात में बहुतसे PLC programming ladder logic diagrams में यूज़ करते थे जो Electro-mechanical control panel devices अनुकरण करनेवाला एक मॉडल था जिसकी जगह आज PLC ने ली है।


Types Of PLC In Hindi - Types Of PLC Programming

Programmable Logic Control के कुछ मुख्य प्रकार है जो नीचे दिए गये है:

1. Compact PLC

इस प्रकार के पीएलसी में सिर्फ़ I/O Module के निश्चित सेट का ही उपयोग किया जा सकता है, इसमे आप I/O Module या बाहरी IO कार्ड का विस्तार नही कर सकते।

Compact PLC यह एक मामले के अंदर कई मॉडुल द्वारा बनाया गया है। इसलिए I/O क्षमताओं को उपयोगकर्ता द्वारा नहीं बल्कि निर्माता द्वारा तय किया जाता है।

2. Modular PLC

एक मॉड्यूलर पीएलसी कई घटकों के साथ बनाया गया है जिन्हें एक सामान्य Rack या बस में विस्तार योग्य I/O क्षमताओं के साथ Plug किया गया है। इसमें Power supply module, CPU और अन्य I/O module का समावेश हैं जो एक ही Rack  में एक साथ प्लग किए जाते हैं, जो समान निर्माताओं से या अन्य निर्माताओं से होते हैं।

Modular PLC को Program Memory Size और I/O Features की संख्या के आधार पर तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है:

  • Medium Size PLC: इस प्रकार के पीएलसी का उपयोग ज्यादातर उद्योगों में किया जाता है जो कई प्लग इन मॉड्यूल की अनुमति देता है जो सिस्टम के Backplane पर लगाए जाते हैं।
  • Large PLC: जिसमें जटिल प्रक्रिया नियंत्रण कार्यों की आवश्यकता होती है, उसमे बड़ी पीएलसी का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर लार्ज पीएलसी का उपयोग पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (SCADA) सिस्टम, बड़े पौधों, वितरित नियंत्रण प्रणालियों में किया जाता है।
  • Small PLC: छोटे पीएलसी का उपयोग hard-wired relay logic, timers, counters की जगह के लिए किया जाता है। इस प्रकार का पीएलसी कॉम्पैक्ट और मजबूत इकाई के रूप में डिज़ाइन किया गया है।

जिसे नियंत्रित करने के लिए उपकरण के पास रखा जाता है और यह एक छोटे आकार का पीएलसी होता है। यह Programming Language के रूप में Relay Ladder Language (रिले लैडर लैंग्वेज) या फिर Logic Instruction List (लॉजिक इंस्ट्रक्शन लिस्ट) का उपयोग करता है।

3. Rack PLC

Rack प्रकार के PLC में पीएलसी कंपोनेंट्स के सभी अलग अलग मॉडुल होते है और एक रैक पर इंडिविजुअल कंपोनेंट्स को बढ़ाकर एक यूनिट बनाने के लिए संग्रहित किया जाता है। यह पीएलसी हजारों Input-Output तक का समर्थन कर सकता है।


Advantages Of PLC - पीएलसी के लाभ

दोस्तों आज ज्यादातर इंडस्ट्री में मशीन वर्क करने लिए Programmable Logic Control का बहुत उपयोग हो रहा है और PLC यूज़ करने के बहुत से फ़ायदे भी दिखाई दे रहे है, पीएलसी के क्या फ़ायदे होते है यह जानते है।

  • PLC Programme बहुत आसानी से किया गया है, प्रोग्रामिंग Programming Language भी बहुत आसान और समझ में आये ऐसी है।
  • PLC का छोटा भौतिक आकार है।
  • इसमे High-speed counter है।
  • PLC यह बहुत तेजी से स्कैन समय है।
  • PLC में आयी किसी समस्या का निवारण बहुत आसानी से और तेजी से होता है।
  • इसकी Computational Capabilities बहुत ज्यादा है।
  • यह संयंत्र में कंप्यूटर के साथ संवाद करने में सक्षम है।
  • Programming and Reprogramming में Flexibility है।
  • यह नियंत्रक के अंदर पहले से ही Input और Output के लिए इंटरफेसिंग है।
  • PLC Device में पर्यवेक्षी नियंत्रण क्षमता है।

Disadvantages Of PLC - पीएलसी के नुकसान

  • कुछ पीएलसी बिजली संयंत्र बहाल होने के बाद चालू होते हैं और कोई भी दुर्घटना हो सकती है।
  • जब कोई प्रॉब्लम होती है तो Hold-up Time आमतौर पर लंबा होता है या  अनिश्चित होता है।


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तो दोस्तों आपको What is PLC in Hindi, PLC working in hindi,  Advantages of PLC, Disadvantages of PLC, PLC Programming, PLC History, types of PLC in used industry के बारे में काफी कुछ जानकारी मिली होंगी, और उम्मीद है की आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा होंगा अगर यह आर्टिकल पसंद आया तो अपने दोस्तों में शेयर करे और हमे कमैंट्स करके बताये।

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