इस पोस्ट में हम ट्रांसफार्मर क्या है?, What is transformer in hindi? और Types of transformer in hindi, ट्रांसफार्मर के उपयोग, इत्यादी के बारे में जानेंगे। ट्रांसफार्मर को हिंदी में परिणामित्र कहते है, यह Transformer एक विद्युत यंत्र है जिसका आविष्कार 1831 में माइकेल फैरेडे ने किया था। ट्रांसफॉर्मर हम कई जगह पर देखते है जिसका उपयोग वोल्टेज पावर को कम या ज्यादा करने के लिए किया जाता है।
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ट्रांसफार्मर क्या है? - What Is Transformer In Hindi
ट्रांसफार्मर यह एक स्थिर विद्युत उपकरण है, जो विद्युत शक्ति को ज्यादा वोल्टेज से कम वोल्टेज में या कम वोल्टेज से ज्यादा वोल्टेज में बदलता है। ट्रान्सफार्मर एनर्जी या पावर उत्पन्न नहीं करता, ना ही शक्ति का परिवर्तन करता है, ना ही आवृत्ति बदलता है, इसका मुख्य उपयोग वोल्टेज को बढ़ाने और घटाने के लिए किया जाता है।
ट्रांसफार्मर को हिंदी में परिणामित्र कहते है, यह AC करंट की आवृत्ति याने Frequency को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करता है। याने यह विद्युत ऊर्जा को Electromagnetic Induction के द्वारा एक सर्किट से दूसरे सर्किट में स्थानांतरण करता है, जिसमें विद्युत ऊर्जा को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
Types Of Transformer In Hindi - ट्रांसफार्मर के प्रकार
विद्युत शक्ति प्रणाली में विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न ट्रांसफार्मर के प्रकार का उपयोग किया जाता हैं, जैसे बिजली उत्पादन, वितरण, ट्रांसमिशन, और विद्युत शक्ति का उपयोग। ट्रांसफार्मर को वोल्टेज स्तर, कोर माध्यम का उपयोग, वाइंडिंग, उपयोग और स्थापना स्थान आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। निचे हमने कुछ मुख्य ट्रांसफार्मर के प्रकारो का विवरण दिया है:
Voltage Levels या वाइंडिंग के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार
यह लगभग सभी के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले ट्रांसफार्मर का प्रकार हैं, जो प्राइमरी से सेकेंडरी वाइंडिंग के वोल्टेज अनुपात पर निर्भर करता है। यह ट्रांसफार्मर Step-Up और Step-Down Transformers यह दो प्रकारो में होता है।
1. Step-Up Transformer की जानकारी
Step-Up Transformer को उच्चायी ट्रांसफार्मर भी कहते है, इसमे प्राइमरी वोल्टेज की तुलना में सेकेंडरी वोल्टेज को बढ़ाया जाता है, जो प्राइमरी वाइंडिंग की तुलना में सेकेंडरी वाइंडिंग की संख्या को बढ़ाकर प्राप्त किया जा सकता है। इस उच्चायी ट्रांसफार्मर का लंबी दूरी पर बहुत अधिक वोल्टेज पावर भेजने के लिए भी उपयोग किया जाता है। पावर प्लांट में, एक स्टेप-अप ट्रांसफार्मर का उपयोग जनरेटर के ग्रिड को जोड़ने वाले ट्रांसफार्मर के रूप में भी किया जाता है। इस ट्रांसफार्मर के प्रकार का उपयोग वोल्टेज को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
2. Step-Down Transformer की जानकारी
Step-Down Transformer को हिंदी में अपचायी ट्रांसफार्मर कहते है, स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर का उपयोग उच्च वोल्टेज को कम वोल्टेज में बदलने के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग घरेलू उपकरणों के लिए किया जा सकता है। बहुत से भागों में बिजली पहुँचाने के लिए कुछ सुरक्षा कारणों से उच्च वोल्टेज को कम वोल्टेज में बदलना पडता है, इसके लिए अपचायी ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है।
इस स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में तांबे के तारों के घेरों की संख्या ज्यादा होती है और सेकेंडरी वाइंडिंग में घेरों की संख्या कम होती है, जिससे वोल्टेज को कम किया जाता है। इस ट्रांसफार्मर के प्रकार का उपयोग वोल्टेज को कम करने के लिए किया जाता है।
संरचना और Core Medium के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार
इस संरचना और Core Medium के आधार पर ट्रांसफार्मर के तीन प्रकार होते है: 1) Core type transformer 2) Shell type transformer 3) Berry type transformer.
1. Core type ट्रांसफार्मर की जानकारी
कोर टाइप ट्रांसफॉर्मर में प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों वाइंडिंग को साइड लिंब पर रखा जाता है, इस ट्रांसफॉर्मर में एक मैग्नेटिक सर्किट होते हैं जो एक इलेक्ट्रिक सीरीज सर्किट के बराबर होता है। इसमें L आकार के कोर का प्रयोग करते हैं, जब इन कोर पर प्राइमरी और सेकंडरी वाइंडिंग की जाती है, तब वह दोनों वाइंडिंग कोर के साथ साथ आपस मे एक दूसरे से इंसुलेटेड होती है।
2. Shell Type ट्रांसफार्मर की जानकारी
शेल टाइप ट्रांसफॉर्मर में वाइंडिंग को ट्रांसफॉर्मर के सेंट्रल लिंब पर रखा जाता है, जबकि इस ट्रांसफॉर्मर में दो मैग्नेटिक सर्किट होते है। इसमें E आकार के कोर का प्रयोग करते हैं, इसमे कोर के बीच प्राइमरी और सेकंडरी वाइंडिंग की जाती है, जो दोनों वाइंडिंग आपस मे एक दूसरे से इंसुलेटेड होती है। इनमें दो चुम्बकीय परिपथ होते हैं इसलिए इसे शैल टाइप ट्रांसफार्मर कहते हैं।
3. Berry Type ट्रांसफार्मर की जानकारी
इसकी रचना थोड़ी जटिल होती है। इस बेरी टाइप ट्रांसफार्मर में केवल एक वाइंडिंग होती है, इसमे कोर को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि फ्लक्स प्रवाह के कई रास्ते रहे। इनका कोर आयताकृति डिस्क से बना होता है, जहा हर डिस्क के पक्ष को मिलाकर एक सेट बनाया जाता है और उसपर वाइंडिंग की जाती है। बेरी टाइप ट्रांसफार्मर में दो से अधिक स्वतंत्र चुंबकीय सर्किट होते हैं यानी इसने चुंबकीय सर्किट वितरित किए हैं, और इसके वाइंडिंग को Cylindrical या Circular आकार में रखा जाता है।
विद्युत आपूर्ति या फेज की संख्या के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार
विद्युत सप्लाय या फेज की संख्या के आधार पर ट्रांसफार्मर के दो प्रकार होते है: 1) Single Phase Transformer 2) Three Phase Transformer.
1. Single Phase Transformer
सिंगल फेज ट्रांसफार्मर के इनपुट और आउटपुट दोनों सिरों पर सिंगल फेज होता है, जो की यह सिंगल फेज AC सप्लाय का काम करने वाला ट्रांसफार्मर होता है। इस Single Phase Transformer का उपयोग सिंगल फेज की वोल्टेज को कम या ज्यादा करने के लिए होता है।
2. Three Phase Transformer
Three Phase Transformer के इनपुट और आउटपुट दोनों सिरों पर तीन फेज तीन चालक या तीन फेज चार चालक होते है। यह थ्री फेज AC सप्लाय का काम करने वाला ट्रांसफार्मर होता है, जिसका उपयोग सबसे जादा होता है। यह ट्रांसफार्मर म्यूच्यूअल इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है, जिसमे एक कोर मे तीन फेज की तीन प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंगहोती है।
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तो दोस्तों यह थी Transformer in hindi, ट्रांसफार्मर क्या है?, What is transformer in hindi, ट्रांसफार्मर के उपयोग और ट्रांसफार्मर के प्रकार, इत्यादी की जानकारी, यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो हमें comments करके बताये और अपने परिजनों में शेअर करे।