ट्रांजिस्टर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या उपकरण है, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट निर्माण के लिए किया जाता है। तो दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपके लिए transistor की पूरी जानकारी दी है जैसे की, ट्रांजिस्टर क्या होता है, Types of transistor in hindi, What is transistor in hindi, Transistor definition, Transistor meaning in hindi, Diagram, इत्यादी।
इस ट्रांजिस्टर का अविष्कार Walter Brattain, John Bardeen और William Shockley ने 1947 में Bell Labs में किया था। यह transistor दिखने में एक साधारण और बहुत ही छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दिखाई देता है, परन्तु इसका उपयोग बहुत बड़े स्तर पर किया जाता है जैसे की, इलेक्ट्रानिक सर्किट, कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी, और भी कई डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है।
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ट्रांजिस्टर क्या होता है? - What Is Transistor In Hindi
ट्रांजिस्टर यह एक तीन टर्मिनल वाले सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या उपकरण है, जिसका उपयोग विद्युत करंट को विनियमित करने के लिए या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को और सिग्नल की शक्ति को बढ़ाने या स्विच करने के लिए किया जाता है।
इस Transistor का उपयोग मुख्यतः प्रवर्धक याने Amplifier और इलेक्ट्रॉनिक स्विच के रूप में किया जाता है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग amplifications के लिए किया जाता है, याने यह उपकरण इलेक्ट्रॉनिक या विद्युत सिंग्नल को एंप्लीफाई करता है और सर्किट को ऑन-ऑफ करने में मदद करता है।
ट्रांजिस्टर के बिना आप इलेक्ट्रानिक सर्किट के निर्माण की कल्पना भी नहीं कर सकते, इसलिए यह सभी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के लिए एक महत्वपूर्ण घटक हैं। कई निर्माताओं द्वारा मानकीकृत विनिर्देशों (standardized specifications) के लिए कई प्रकार के ट्रांजिस्टर बनाए जाते हैं।
Transistor Definition In Hindi - ट्रांजिस्टर की परिभाषा
ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक उपकरण (semiconductor device) है, जिसका उपयोग विद्युत प्रवाह को विनियमित करने और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को बढ़ाने या स्विच करने के लिए किया जाता है।
ट्रांजिस्टर किन सामग्री से बने होते है?
इन ट्रांजिस्टर को बनाने में कभी कभी कुछ मात्रा में अर्धचालक पदार्थों(semiconductor materials) का उपयोग किया जाता है, परन्तु अधिकांश ट्रांजिस्टर शुद्ध सिलिकॉन(silicon) से बने होते हैं, और कुछ जर्मेनियम (germanium) से बने होते हैं। आमतौर पर वैक्यूम ट्यूब की तुलना में, ट्रांजिस्टर अधिक छोटे होते हैं और उन्हें संचालित करने के लिए कम शक्ति की आवश्यकता होती है।
ट्रांजिस्टर में कितने टर्मिनल होते है?
Transistor में तीन टर्मिनल या सिरे होते हैं, जिसे Collector, Base और Emitter कहा जाता है, जिसका उपयोग दूसरे सर्किट को जोड़ने में किया जाता है।
Transistor Three Terminals:
- Collector (C) - संग्राहक: यह टर्मिनल पॉजिटिव होता हैं।
- Base (B) - आधार: यह टर्मिनल ट्रांजिस्टर को सक्रिय करता हैं।
- Emitter (E) - उत्सर्जक: यह टर्मिनल नेगेटिव होता हैं।
Types Of Transistor In Hindi - ट्रांजिस्टर के प्रकार
इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इन ट्रांजिस्टर का उपयोग कैसे किया जाता है, इसके आधार पर Transistor के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:
- Bipolar Junction Transistor (BJT)
- Field Effect Transistor (FET)
इन दो प्रकार के ट्रांजिस्टर की जानकारी निचे दी है:
1. Bipolar Junction Transistor (BJT)
Bipolar Junction Transistor यह तीन टर्मिनल बेस, एमिटर और कलेक्टर से बना ट्रांजिस्टर का प्रकार है, इसमे बेस और एमिटर के बीच बहने वाला एक बहुत छोटा करंट कलेक्टर और एमिटर टर्मिनल के बीच करंट के बड़े प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है।
यह बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT) केवल इनपुट करंट द्वारा चालू होते हैं, जो बेस टर्मिनल को दिया जाता है। यह BJT तीन क्षेत्रों में काम कर सकता है जैसे की:
- Active Region: यहाँ ट्रांजिस्टर एक एम्पलीफायर के रूप में कार्य करता है।
- Cut Off Region: जब ट्रांजिस्टर 'Off' अवस्था में होता है तब इसमे बहने वाली धारा शून्य होती है।
- Saturation Region: ट्रांजिस्टर पूरी तरह से 'ON' अवस्था में होता है और एक closed switch के रूप में भी काम करता है।
Bipolar Junction Transistor (BJT) के प्रकार
- NPN Transistor
- PNP Transistor
NPN Transistor:
इस NPN Transistor में एक P प्रकार की सामग्री को दो N प्रकार की सामग्रियों के बीच रखा जाता है, इस ट्रांजिस्टर के प्रकार का उपयोग सर्किट में व्यापक रूप से किया जाता है। यह एनपीएन ट्रांजिस्टर कमजोर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को मजबूत इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल तक बढ़ाने का कार्य करता है।
इस NPN Transistor में इलेक्ट्रॉन Emitter से Collector क्षेत्र में चले जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप ट्रांजिस्टर में करंट का निर्माण होता है। और इसमे जो तीन प्रकार की सामग्रियों की लेयर होती है, उसमे P प्रकार की लेयर Base होती है, पहले वाली N प्रकार की लेयर Emitter होती हैं और तीसरी N प्रकार की लेयर Collector होती हैं।
PNP Transistor:
इस PNP Transistor में एक N प्रकार की सामग्री को दो P प्रकार की सामग्रियों के बीच रखा जाता है, और ऐसे कॉन्फ़िगरेशन में, डिवाइस करंट के प्रवाह को नियंत्रित करता है। याने इस PNP ट्रांजिस्टर में Base से निकली हुई कम मात्रा की विद्युत प्रवाह को Emitter और Collector नियंत्रित करने का काम करता है।
PNP Transistor मे जो तीन प्रकार की सामग्रियों की लेयर होती है उसमे, पहली P प्रकार की लेयर Emitter होती हैं, N प्रकार की लेयर Base होती हैं और तीसरी P प्रकार की लेयर Collector होती हैं।
इस PNP ट्रांजिस्टर में दो क्रिस्टल डायोड्स होते हैं, जो बाएं तरफ का डायोड होता है उसे Emitter base diode कहा जाता है और जो दाएं तरफ का डायोड होता है उसे Collector base diode कहा जाता है।
2. Field Effect Transistor (FET)
Field Effect Transistor यह एक Uni-polar transistor devices हैं, क्योंकि इस प्रकार के ट्रांजिस्टर को संचालित करने के लिए केवल बहुसंख्यक चार्ज वाहक की आवश्यकता होती है। यह ट्रांजिस्टर BJT के मुकाबले काफी छोटे होते हैं और इसमे बिजली की खपत भी कम होती है।
इस फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर (FET) उपकरण में भी 3 टर्मिनल होते हैं, जिसे Gate (G), Drain (D) और Source (S) कहते है।
- Gate (G): इसके द्वारा करंट को कंट्रोल किया जाता है।
- Drain (D): इसके द्वारा करंट बाहर निकलता है।
- Source (S): इसके द्वारा करंट चैनल में आता है।
यह ट्रांजिस्टर Gate टर्मिनल पर वोल्टेज Source और Drain के बीच एक धारा को नियंत्रित कर सकता है। जैसा की हमने बताया की FET यह एक Uni-polar transistor devices है, जिसमें conduction याने चालन के लिए N-Channel FET या P-Channel FET का उपयोग किया जाता है। इस Field Effect Transistor (FET) का मुख्य उपयोग कम शोर एम्पलीफायर, बफर एम्पलीफायर और एक एनालॉग स्विच में होता हैं।
Field Effect Transistor (FET) के प्रकार
इस Field Effect Transistor के भी दो प्रकार हैं, उसमे से पहला Metal Oxide Semiconductor Field Effect Transistor (MOSFET) और दूसरा Junction Field Effect Transistor (JFET) है।
MOSFET:
यह मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (MOSFET) सभी ट्रांजिस्टर में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला और सबसे लोकप्रिय ट्रांजिस्टर का प्रकार है। इस MOSFET का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को एम्प्लीफाई और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण स्विचिंग में किया जाता हैं, इसके साथ डिजिटल सर्किट और एनालॉग सर्किट में भी इसका उपयोग किया जाता है।
JFET:
यह जंक्शन फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (JFET) फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (FET) का एक प्रारंभिक और सरल प्रकार है। इस JFET प्रकार का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक स्विच, एम्प्लीफायर और प्रतिरोधों में किया जाता है। यह ट्रांजिस्टर एक वोल्टेज नियंत्रित डिवाइस है और इसे किसी बायसिंग करंट की जरूरत नहीं होती। यह Junction Field Effect Transistor (JFET) N-Channel और P-Channel दोनों प्रकारों में उपलब्ध हैं।
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FAQs For Transistors In Hindi
ट्रांजिस्टर का कार्य क्या है?
ट्रांजिस्टर का मुख्य कार्य करंट के प्रवाह को विनियमित करना है, इसके साथ यह एक इनपुट इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को अधिक आउटपुट सिग्नल में Amplify या Switch करने का भी कार्य करता है।
ट्रांजिस्टर का उपयोग कहाँ किया जाता है?
ट्रांजिस्टर का उपयोग बहुत से इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किया जाता है जैसे की, इन्वर्टर के सर्किट में, कई प्रकार के डिजिटल गेट बनाने में, कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी, और भी कई डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है।
ट्रांजिस्टर का अविष्कार किसने किया था?
ट्रांजिस्टर का अविष्कार Walter Brattain, John Bardeen और William Shockley ने 1947 में Bell Labs में किया था।
ट्रांजिस्टर में किन सामग्री का उपयोग होता?
ज्यादातर ट्रांजिस्टर में शुद्ध सिलिकॉन और जर्मेनियम का उपयोग किया जाता है, परन्तु कभी कभी ट्रांजिस्टर में कुछ अन्य semiconductor materials का भी उपयोग किया जाता है।
तो दोस्तों यह थी Transistors की जानकारी, जिसमे हमने ट्रांजिस्टर क्या होता है, Types of transistor in hindi, What is transistor in hindi, Transistor definition, ट्रांजिस्टर क्या है? इत्यादी की जानकारी दी है। आशा करते है की आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होंगी, यदि आपको इससे संबंधित कुछ सवाल हो तो हमें कॉमेंट्स करके पूछ सकते है।